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जनवरी, 2019 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

एक तस्वीर

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एक तस्वीर।  आज खामोश है ज़िंदगी न जाने कौन सा तूफान आने को है, या  फिर कोई राज छुपाने को है? आज खामोश सा हो रहा साया खुद से ही , न जाने कौन साथ छोड़ जाने को है।  कौन था  मेरा जो ढूंढ रहा हूँ  ख़्वाबों में, कमब्खत ये साया भी  रुक्सत सा होता नजर आ रहा है  अपना न रहा कोई न अपनाया ज़माने ने, चल छोड़ दे कमब्खत गुसा चल अपनी राहों में।  पन्ना था तू भी ज़िन्दगी का, आज नहीं तो क्या गम हो तेरे जाने का, हो गया बहुत अब खुद पे यकीं कर, तु वही है जो एक दिन वकत को बदलेगा।  चल ज़िंदगी नया पन्ना लिखते हैं , बातों के साथ अपना किसा लिखते हैं   चल आज कुछ दिलचस्प  लिखते हैं।  अनिल करानगरु 

एक और सफर

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अभी चलना जरुरी है!!!!!!! Anil Krangru वक्त की मंझधार में चलना अभी जरुरी है, कदम अभी रुके नहीं चलना अभी मज़बूरी है,  लाख कर ले कोशिश जमाना भी अब से हम तो सफर में है, उनका जलना भी जरुरी है , मुसाफिर हूँ यारों मंजिल मिलना भी जरुरी है , कौन साथ रहा कौन छोड़ गया राहों में आज ये जानना भी जरुरी है!