संदेश

जुलाई, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

मुलाकात

चित्र
वो फिर पूछने चला है मोहब्बत के किस्से  जो एक दौर में ओझल से हो गए।  मैंने कहा मोहब्बत तो आज भी है मगर  आज उसके मायने अलग हो गए।  कल जो मोहब्बत किसी इंसान से थी  आज उनकी जगह अल्फाज़ हो गए।  जिस्म कलम और रूह शब्दों के साथ हो गए।  वो खामोश रहा कुछ देर आंखों में सागर लिए  और अलविदा कहा तो उसके शब्द अमृत हो गए।  कहा वक़्त के साथ एहसास नहीं जरिया बदला  हम आज भी उसी जरिए के मोहताज हो गए ।।                                                       अनिल करानगरु