मुलाकात
वो फिर पूछने चला है मोहब्बत के किस्से जो एक दौर में ओझल से हो गए। मैंने कहा मोहब्बत तो आज भी है मगर आज उसके मायने अलग हो गए। कल जो मोहब्बत किसी इंसान से थी आज उनकी जगह अल्फाज़ हो गए। जिस्म कलम और रूह शब्दों के साथ हो गए। वो खामोश रहा कुछ देर आंखों में सागर लिए और अलविदा कहा तो उसके शब्द अमृत हो गए। कहा वक़्त के साथ एहसास नहीं जरिया बदला हम आज भी उसी जरिए के मोहताज हो गए ।। अनिल करानगरु