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ज़िंदगी

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कोई था ही नहीं किसके जाने का गम करते!! जिंदगी बस ख्यालों में ही गुजर गयी, अब किसी से मोहब्बत भी क्या करते !! चंद दिनों का मेहमान हूँ ,कह दिया हमने भी ,और भला हम उनसे कहते भी तो क्या कहते !! वो ख़्वाबों में मिली थी एक रोज मुझे, मैं देखता रहा अलविदा भी कैसे कहता उसे !! मालूम था, ख्यालों का सफर यक़ीनन ख़तम होगा फिर किसी से उम्मीद क्या करते  !! मुलाकात होगी दोबारा तुमसे यही कह के किनारा किया, और हम भला करते भी तो क्या करते!! कोई था ही नहीं किसके जाने का गम करते , कोई था ही नहीं किसके जाने का गम करते!!!!!!!

सफर

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सफर क्या पूछूं उन परिदों से, जो आसमां छू आते हैं!! चाहत होती है उडान भरने की, तभी तो सारा जहां घूम आते हैं!!