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जनवरी, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

ख़्वाब

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आज  फिर एक हसीं किसा जिंदगी से जुड़ गया, टुटा ख़्वाब जुड़ते-२ रह गया, सोचा था के दिल की बातें कह दूंगा उनसे, मगर लगता है ख़्वाब था जो अधूरा रह गया!!!!                         अनिल करनगरु 

एहसास

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ख़ामोशी कह गयी हाल ऐ  दिल की दास्ताँ तुम जल्दी में थे  शायद सुन न सके हम अलफ़ाज़ें बयान तो करना चाहता थे मगर अफ़सोस तुम सांसें गिन न सके तुम कहते रहे के ख़ुश हूँ मैं मेरी नजर से तुम खुद को देख न सके!!! अनिल करानगरु 

यादें

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ख़ामोशी आज भी कुछ कहना चाह रही थी शायद लगता है तेरे अल्फ़ाज़ों ने खामोश कर दिया! काश कह लेने दिया होता ख़ामोशी को  तो आज  यूँ तेरा दर्द न लिया फिरता अरे किस से कहूं हाल ऐ  दिल की दास्ताँ तेरे आशिक काफी है ज़माने में किस-किस से तेरा पता पूछा फिरता!!!! अनिल करानगरु