एक तस्वीर

एक तस्वीर। 



आज खामोश है ज़िंदगी न जाने कौन सा तूफान आने को है, या  फिर कोई राज छुपाने को है?

आज खामोश सा हो रहा साया खुद से ही , न जाने कौन साथ छोड़ जाने को है। 

कौन था  मेरा जो ढूंढ रहा हूँ  ख़्वाबों में, कमब्खत ये साया भी  रुक्सत सा होता नजर आ रहा है 

अपना न रहा कोई न अपनाया ज़माने ने, चल छोड़ दे कमब्खत गुसा चल अपनी राहों में। 

पन्ना था तू भी ज़िन्दगी का, आज नहीं तो क्या गम हो तेरे जाने का,

हो गया बहुत अब खुद पे यकीं कर, तु वही है जो एक दिन वकत को बदलेगा। 

चल ज़िंदगी नया पन्ना लिखते हैं , बातों के साथ अपना किसा लिखते हैं 

 चल आज कुछ दिलचस्प  लिखते हैं। 

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