एहसास


ख़ामोशी कह गयी हाल ऐ  दिल की दास्ताँ तुम जल्दी में थे  शायद सुन न सके
हम अलफ़ाज़ें बयान तो करना चाहता थे मगर अफ़सोस तुम
सांसें गिन न सके
तुम कहते रहे के ख़ुश हूँ मैं मेरी नजर से तुम खुद को देख न सके!!!

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