यादें
ख़ामोशी आज भी कुछ कहना चाह रही थी शायद लगता है तेरे अल्फ़ाज़ों ने खामोश कर दिया! काश कह लेने दिया होता ख़ामोशी को तो आज यूँ तेरा दर्द न लिया फिरता अरे किस से कहूं हाल ऐ दिल की दास्ताँ तेरे आशिक काफी है ज़माने में किस-किस से तेरा पता पूछा फिरता!!!!
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